Lockdown EPFO Update : कर्मचारी भविष्य निधि संगठन (EPFO) ने कंपनियों को लॉकडाउन के दौरान राहत देने के लिए अहम फैसला लिया है। जिसके तहत अब लॉकडाउन के दौरान कंपनियों द्वारा कर्मचारियों के प्रोविडेंट फंड के कंट्रीब्यूशन में देरी होने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा। सरकार ने कोरोना वायरस Coronavirus के संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूरे देश में लॉकडाउन लागू किया गया था। इसके बाद कारोबार लिक्विडिटी या कैश की कमी से जूझ रहे हैं जिसके कारण उन्हें प्रोविडेंट फंड Provident Fund के बकाया का भुगतान करने में परेशानियां हो रही हैं।
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जुर्माने का प्रावधान
उद्योग संगठन PHDCCI द्वारा आयोजित वेब कॉन्फ्रेंसिंग यानि वेबिनार के दौरान EPFO के सेंट्रल प्रोविडेंट फंड कमीश्नर सुनील बर्थवाल ने कहा कि लॉकडाउन की अवधि के दौरान वे किसी तरह का जुर्माना नहीं लगाएंगे। EPFO का प्रावधान है कि उन नियोक्ताओं से जुर्माना लिया जाता है।
जो अपने पीएफ के योगदान को नहीं जमा कर पाए हैं। यह योगदान EPFO स्कीम 1952 के अंदर अनिवार्य है। नियोक्ताओं को महीने की सैलरी पर बकाया का भुगतान अगले महीने की 15 तारीख तक करना होता है। हालांकि, उसके बाद उन्हें भुगतान के लिए 10 दिन का ग्रेस मिलता है।
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कंपनियों पर वित्तीय दबाव
श्रम मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि कोविड-19 को फैलने से रोकने के लिए सरकार द्वारा एलान किए गए। लॉकडाउन और महामारी की वजह से दूसरी रूकावटों को देखते हुए, EPF & MP Act, 1952 के अंदर आने वाली संस्थाओं पर दबाव है, और वे सामान्य की तरह काम नहीं कर पा रही हैं और वैधानिक योगदान करने में सक्षम नहीं हैं।
मंत्रालय ने आगे कहा कि संस्थाओं द्वारा लॉकडाउन के दौरान किसी अवधि के लिए योगदान या प्रशासनिक चार्ज के भुगतान को समय पर कर पाने में आ रही मुश्किल को देखते हुए EPFO ने फैसला किया है कि कामकाज या आर्थिक कारणों से होने वाली ऐसी देरी को डिफॉल्ट के तौर पर न देखा जाए और ऐसी देरी के लिए जुर्माना न लिया जाए।
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जारी किया सर्कुलर
मंत्रालय ने यह भी कहा कि 15 मई 2020 को EPFO के फील्ड अफसरों के लिए एक सर्रकुलर जारी हुआ है कि ऐसे मामलों में किसी भी तरह के जुर्माने के लिए कोई कार्यवाही न शुरू की जाए। इसके साथ यह भी कहा गया है कि इस कदम से EPFO में कवर होने वाली 6.5 लाख संस्थाओं के लिए अनुपालन के नियम आसान होंगे और उन्हें जुर्माने से बचाएंगे।