नई दिल्ली में उद्योग समूह सीआईआई, फिक्की, नैस्काम और नीति आयोग के साथ बैठक के बाद वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था अगले सात वर्षों में 5 लाख करोड़ अमेरिकी डॉलर की अर्थव्यवस्था बन सकती है।
इस विषय पर एक कार्यबल की बैठक की अध्यक्षता करते हुये सुरेश प्रभु ने कहा कि ऐसा किया जाना संभव है लेकिन इसके लिये जरूरी है कि विनिर्माण (manufacturing), सेवा और कृषि क्षेत्र में लगातार विकास हो।
पिछले 2 साल में कई वजहों से भारतीय अर्थव्यवस्था के विकास की गति में कमी आयी है। इसमें विश्व में आर्थिक मंदी, नोटबंदी और जीएसटी लागू किये जाने में आयी अड़चनों जैसी कई वजहें शामिल हैं।
हालांकि नोटबंदी के एक साल बाद भारत की अर्थव्यवस्था एक बार फिर रफ्तार पकड़ती दिखायी दे रही है। और ज्यादातर एजेंसियां एवं सरकारी संस्थायें इसके 7% से ऊपर रहने की बात कह रहे हैं।
सुरेश प्रभु ने तेज आर्थिक विकास में निजी क्षेत्र की भूमिका पर भी जोर दिया। उन्होंने कहा सरकार इसमें निजी क्षेत्र की हर संभव मदद करेगी।
उन्होंने कहा कि सरकार इस प्रक्रिया में सुविधाप्रदाता के रूप में कार्य करेगी।