केंद्र सरकार ने मंगलवार को लखनऊ, भागलपुर, रांची, इंफाल तथा वारंगल सहित 13 और शहरों को स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित करने की घोषणा की।
इन 13 शहरों का चयन फॉस्ट ट्रैक कंपटीशन के तहत 23 शहरों में से किया गया है और इन शहरों ने बुनियादी ढांचे के विकास के लिये 30 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा के निवेश का प्रस्ताव रखा है।
इस तरह स्मार्ट शहरों पर कुल मिलाकर 80 हजार करोड़ रुपये खर्च करने के प्रस्ताव हैं।
केंद्रीय शहरी विकास मंत्री एम वेंकैया नायडू ने यहां अपने मंत्रालय के पिछले दो साल की उपलब्धियों का ब्योरा देते हुए बताया कि विभिन्न राज्यों के 23 शहरों में 13 नये शहरों को स्मार्ट सिटी के रुप में विकसित करने का फैसला किया गया है।
इससे पहले सरकार ने 20 शहरों को स्मार्ट बनाने की घोषणा की थी। उन्होंने बताया कि 23 शहरों की प्रतिस्पर्धा में प्रथम स्थान उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ ने प्राप्त किया है।
वेंकैया नायडू ने बताया कि प्रतिस्पर्धा में अन्य विजेता शहरों में तेलंगाना का वारंगल, हिमाचल प्रदेश का शिमला, चंडीगढ, छत्तीसगढ का रायपुर, पश्चिम बंगाल का न्यू टाउन कोलकाता, बिहार का भागलपुर, गोवा का पणजी, अंडमान एवं निकोबार द्वीप समूह का पोर्ट ब्लेयर, मणिपुर का इंफाल, झारखंड का रांची, त्रिपुरा का अगरतला और हरियाणा का फरीदाबाद शामिल है।
सरकार ने 98 शहरों को स्मार्ट बनाने के लिए चुना है। उन्होंने बताया कि इन शहरों ने स्मार्ट सिटी की प्रतिस्पर्धा में आने के लिए आधारभूत ढांचे और जनसुविधाओं में उल्लेखनीय सुधार किया है।
केंद्रीय मंत्री ने बताया कि उत्तर प्रदेश के मथुरा और रायबरेली तथा जम्मू और कश्मीर के श्रीनगर और जम्मू के बीच स्मार्ट शहर बनने का फैसला किया जाएगा।
इसके अलावा सात राज्यों की राजधानियों को भी स्मार्ट सिटी प्रतिस्पर्धा में शामिल होने की अनुमति दे दी गयी है। इनमें पटना, शिमला, नया रायपुर, ईटानगर, अमरावती, बेंगलुरू और तिरुवनंतपुरम शामिल हैं।