वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बचत पर ऊंची ब्याज दरों को लेकर सवाल उठाते हुए कहा कि यह सोचने वाली बात है कि क्या हमें बचत पर ऊंची ब्याज दर जारी रखनी चाहिए, क्योंकि इससे कर्ज महंगा होता है और अर्थव्यवस्था की रफ्तार धीमी होती है। निजी क्षेत्र में निवेश अभी भी गति नहीं पकड़ पाया है।
जेटली ने कहा कि भारत की स्थिति इस मामले में काफी विचित्र है, क्योंकि यहां घरेलू बचत दर भी काफी ऊंची है। जेटली ने सवाल उठाते हुए कहा, ‘क्या हमें घरेलू बचत का प्रयोग केवल ऊंची ब्याज आय वाले साधनों में ही करना चाहिए और ऐसी ब्याज व्यवस्था बनानी चाहिए जो कि बहुत महंगी हो और अर्थव्यवस्था को धीमी बनाती हो या फिर हमें ऊंची ब्याज दरें ऐसे कोषों, बांड और शेयरों के माध्यम से मिलनी चाहिए।’
जेटली ने कहा कि सारी आर्थिक गतिविधियों का सार निवेश में है और यह वहां से आता है जहां संसाधन उपलब्ध होते हैं। उन्होंने कहा, ‘इनमें से कई सारे माध्यम सुरक्षित निवेश भी हैं जो लोगों को एक बहुत अच्छा मुनाफा देते हैं। यही वह आधार है जिस पर दुनियाभर के पेंशन कोष काम कर रहे हैं। मेरा मानना है कि इन माध्यमों से हम अगले कुछ सालों और दशकों में वृद्धि कर सकते हैं। अधिक से अधिक अवसर हमारे पास आएंगे।
वित्त मंत्री अरुण जेटली के अनुसार भारतीय अर्थव्यवस्था को ज्यादा और लंबे समय के निवेश की जरूरत है, ताकि दशकों से व्याप्त बुनियादी ढांचे और औद्योगिकीकरण के घाटे की खाई को पाटा जा सके। उन्होंने कहा, ‘और सभी तरह की गतिविधियों का शुरुआती बिंदु निवेश होना चाहिए। यह संसाधनों को जुटाकर होना चाहिए, यह निजी क्षेत्र की प्रमुख कंपनियों से और कभी-कभी सार्वजनिक निजी भागीदारी (पीपीपी) के जरिये होना चाहिए, जो यह सुनिश्चत करे कि घाटे की भरपाई हो सके।’