भारत ने व्यापक विनाश के हथियारों को ले जाने में सक्षम प्रक्षेपास्त्रों की प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण को नियंत्रित करने वाली प्रक्षेपास्त्र प्रौद्योगिकी नियंत्रण व्यवस्था (Missile Technology Control Regime) में 35वें सदस्य के रूप में आज सदस्यता हासिल कर ली है।
विदेश मंत्रालय में विदेश सचिव एस. जयशंकर ने फ्रांस के राजदूत अलेक्सांद्र ज़ीगलर, नीदरलैंड के राजदूत अल्फोंसस स्टोयलिंगा और लक्जमबर्ग के राजदूत सैम श्रीनेर की मौजूदगी में इस 34 सदस्यीय समूह में प्रवेश संबंधी दस्तावेज पर हस्ताक्षर किए।
परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह (Nuclear Suppliers Group) में चीन के अड़ंगे के कारण प्रवेश से वंचित रहने के बाद एमटीसीआर का अंग बनने पर भारत ने उसकी सदस्यता का समर्थन करने के लिये समूह के सभी 34 सदस्य देशों का आभार व्यक्त किया।
इसके साथ ही भारत उच्च मिसाइल प्रौद्योगिकी हासिल करने और रूस के साथ संयुक्त उपक्रम करने के योग्य हो गया है।
मिसाइल टैक्नोलॉजी कंट्रोल रिजीम का उद्देश्य मिसाइल, सम्पूर्ण रॉकेट प्रणाली, मानव रहित हवाई यान तथा पॉंच सौ किलोग्राम भार को कम से कम तीन सौ किलोमीटर तक ले जानी वाली तकनीक तथा जनसंहार के हथियारों की आपूर्ति के प्रसार को रोकना है।
उधर, परमाणु आपूर्तिकर्ता समूह में भारत को सदस्यता ना मिलने पर विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि भले ही परिणाम आशा के मुताबिक ना आए हों, लेकिन आने वाले समय में भारत को इसे लेकर सफलता प्राप्त होगी।
उन्होंने कहा कि चीन से ज़ोर देकर कहा जाएगा कि द्विपक्षीय संबंधों को आगे बढ़ाने के लिए आपसी मामलों में परस्पर सामंजस्य बिठाना ज़रूरी है।