आज शुक्रवार में निर्मित पहला हल्का लड़ाकू विमान तेजस वायु सेना में आधिकारिक रूप से शामिल किया गया। देश में विकसित इस विमान से मेक इन इंडिया अभियान को और गति मिलेगी।
लड़ाकू विमान तेजस हवा से हवा में और हवा से ज़मीन पर भी मिसाइल दागने में सक्षम है। साथ ही इससे एंटीशिप मिसाइल, बम और रॉकेट को भी दागा जा सकता है।
यह सबसे हल्का सुपरसोनिक फाइटर जेट है, जिसका ढांचा 42% कार्बन फाइबर, 43% एल्यूमीनियम अलॉय और टाइटेनियम से मिलकर बना है।
शुक्रवार को वायुसेना में शामिल तेजस की पहली स्क्वाड्रन को 2 साल तक बेंगलुरु में ही रखा जाएगा। इसके बाद इसे तमिलनाडु के सलूर में शिफ्ट किया जाएगा।
तेजस फाइटर की पहली स्क्वाड्रन का नाम ‘फ्लाइंग डैगर्स 45’ रखा गया है।
एयरफोर्स में एंट्री के साथ ही तेजस फ्रंटलाइन लड़ाकू जेट्स सुखोई 30-MKI, जगुआर, मिराज-2000 जैसों की रैंक में शामिल हो गया।
आपको बता दें कि तेजस की फाइटर स्क्वाड्रन में 2018 तक 20 जेट और एक या दो ट्रेनर्स शामिल किए जाने हैं।
देश में बने पहले लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LAC) तेजस बेड़े में 2 तेजस फाइटर शामिल हुए हैं।
मेड इन इंडिया फाइटर लाने की प्रॉसेस 33 साल पहले यानी 1983 में शुरू हो गई थी। लेकिन तेजस ने अपनी पहली उड़ान 4 जनवरी, 2001 में भरी।