दिल्ली विश्वविद्यालय के रामजस कॉलेज में एबीवीपी और वामपंथी छात्रसंगठनों के बीच हुई मारपीट पर राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने चिंता जाहिर की है। राष्ट्रपति ने कोच्चि के छठे के. एस. राजामणि स्मारक आख्यान देते हुए में कहा कि अशांति की संस्कृति का प्रचार करने के बदले छात्रों और शिक्षकों को चर्चा एवं बहस में शामिल होना चाहिए।
छात्रों को अशांति और हिंसा के भंवर में फंसा देखना दुखद है। मुखर्जी ने कहा कि यह देखना दुखद है कि छात्र हिंसा और अशांति के भंवर में फंसे हुए हैं।
उन्होंने कहा कि शिक्षा के ऐसे मंदिरों में सृजनात्मकता और स्वतंत्र चिंतन की गूंज होनी चाहिए. राष्ट्रपति मुखर्जी ने महिलाओं पर हमले, असहिष्णुता और समाज में गलत चलनों को लेकर भी आगाह किया।
उन्होंने कहा कि देश में ‘असहिष्णु भारतीय’ के लिए कोई जगह नहीं होनी चाहिए क्योंकि यह राष्ट्र प्राचीन काल से ही स्वतंत्र विचार, अभिव्यक्ति और भाषण का गढ़ रहा है।
राष्ट्रपति ने कहा कि अभिव्यक्ति और बोलने की स्वतंत्रता का अधिकार हमारे संविधान द्वारा प्रदत्त सर्वाधिक महत्वपूर्ण मौलिक अधिकारों में से एक है और वैध आलोचना और असहमति के लिए हमेशा जगह होनी चाहिए।