देश में न्यायाधीशों की कमी को देखते हुए रिक्त पदों को सरकार से जल्द भरे जाने की अपील करते समय प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर रविवार को प्रधानमंत्री के सामने बेहद भावुक हो उठे। न्यायाधीशों की कमी और उन पर काम के दबाव का जिक्र करते हुये उनके आंसू छलक उठे।
उन्होंने सवाल किया कि न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए दिए गए नामों की जांच-पड़ताल में खुफिया ब्यूरो और अन्य एजेंसियों को इतना समय क्यों लगता है।
मुख्यमंत्रियों और मुख्य न्यायाधीशों के सम्मेलन के बाद मीडिया से बातचीत में प्रधान न्यायाधीश ने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के कालेजियम द्वारा सिफारिश किए गए न्यायाधीशों की जांच में खुफिया ब्यूरो को इतना समय क्यों लगता है। प्रधानमंत्री या प्रधानमंत्री कार्यालय ब्यूरो को क्यों नहीं कहते कि जांच रिपोर्ट 15 दिन में दे दें।
उन्होंने कहा कि प्रधान न्यायाधीश सचिवालय को यह पता होना चाहिए कि प्रस्ताव कहां अटका है। मुझे पता होना चाहिए कि फाइल सचिव के पास खुफिया ब्यूरो में अटका है। अगर कोई नाम स्वीकार्य नहीं है तो इस पर स्पष्ट कहा जाना चाहिए। लोग न्याय के लिए चीख रहे हैं।
समाचार चैनलों ने दिखाया कि प्रधानमंत्री ने कहा कि शीर्ष मंत्रियों और न्यायाधीशों को मिलकर इसका रास्ता निकालना होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि कोई काम यदि 1987 से लंबित है तो ये गलत है। श्री मोदी ने कहा कि वह इस तरह के व्यक्ति नहीं है कि इस बात को सुनकर यहां से जाने के बाद भूल जायें और इस पर कुछ काम न करें।
केंद्रीय कानून मंत्री ने कहा कि हकीकत यह है कि अदालतें कुल स्वीकृत पदों में से 50 फीसदी से ही काम चला रही हैं।