2002 के गुलबर्ग सोसायटी हत्याकांड मामले में आज सजा का ऐलान कर दिया गया। अदालत ने अभियोजन पक्ष की मौत की सज़ा की दलील को नहीं माना। अदालत ने कहा कि दोषियों में सुधार की गुंजाईश है।
गुजरात के गुलबर्ग सोसायटी नरसंहार मामले में एसआईटी अदालत ने 11 दोषियों को मौत तक आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके अलावा एक को 10 साल और बाकि बचे 12 को सात साल के कारावास की सजा सुनाई गई है।
जिन 11 लोगों को उम्रक़ैद की सज़ा सुनाई गई है उनमें से नौ 2002 से जेल में बंद है।
अहमदाबाद के मेघाणीनगर थाना इलाके की गुलबर्ग सोसायटी पर 28 फरवरी 2002 को दंगाइयों ने हमला बोल दिया था, जिसमें कुल 69 लोगों की जान गई, जिनमें से एक कांग्रेस के पूर्व सांसद एहसान जाफरी थे।
गुलबर्ग सोसायटी दंगा कांड 27 फरवरी 2002 को हुए गोधरा कांड के ठीक अगले दिन हुआ था।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर इस मामले की जांच एसआईटी ने की और आखिरकार चौदह साल बाद इस मामले में अब सजा का एलान हुआ। जकिया जाफरी ने कहा कि उनकी लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई है।
अभियोजन पक्ष ने सभी दोषियों के लिए फांसी की सज़ा की मांग की थी।
वहीं बचाव पक्ष ने दोषियों की सामाजिक, आर्थिक, आपराधिक रिकार्ड और सुधार की गुंजाईश को ध्यान में रखने की दलील दी थी।