विधायकों को मुख्य संसदीय सचिव (सीपीएस) नियुक्त किए जाने पर पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने पंजाब की बादल सरकार को झटका दिया है।
हाईकोर्ट ने शुक्रवार को राज्य में 21 सीपीएस की नियुक्तियां रद्द कर दीं। इनमें से 2 पहले ही इस्तीफा दे चुके हैं, जबकि एक का देहांत हो चुका है।
जस्टिस एसएस सरों और जस्टिस रामेंद्र जैन की खंडपीठ ने 2 याचिकाओं का निपटारा करते हुए यह फैसला सुनाया।
करीब 4 साल पहले दायर याचिका में एडवोकेट जगमोहन सिंह भट्टी ने विधायकों को सीपीएस बनाए जाने को असंवैधानिक बताते हुए दावा किया था कि हिमाचल प्रदेश में ऐसी नियुक्तियों को हिमाचल हाईकोर्ट रद्द कर चुका है।
उन्होंने यह भी दावा किया था कि सरकार में आने से पहले खुद भाजपा भी विधायकों को सीपीएस बनाए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दे चुकी है।
2004 में ‘लायर्स फॉर सोशल एक्शन’ की तरफ से याचिका दायर कर 11 सीपीएस की नियुक्ति को चुनौती दी गयी थी। लेकिन सुनवाई पूरी होने से पहले सभी सीपीएस का कार्यकाल पूरा हो जाने के कारण यह याचिका किसी नतीजे पर नहीं पहुंच पायी थी।