केरल के कोल्लम जिले के पुत्तिंगल मंदिर में पटाखों के सार्वजनिक प्रदर्शन के दौरान रविवार सुबह करीब 3 बजे भयानक आग लगने और विस्फोट में मरने वालों की संख्या बढ़कर 110 को पार कर गयी है और पहली नजर में मंदिर प्रशासन इस भयानक दुर्घटना के लिये जिम्मेदार लगता है।
केंद्र सरकार ने कहा कि यह घटना पटाखों के प्रदर्शन के दौरान हुई और पहली नजर से लगता है कि सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए पटाखों को भारी मात्रा में रखा गया था।
पटाखों के सार्वजनिक प्रदर्शन के लिए जिला मजिस्ट्रेट से विस्फोटक नियम 2008 के अंतर्गत फॉर्म एलई-6 में एक लाइसेंस प्राप्त करना अनिवार्य था।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में केंद्र ने यह भी कहा कि सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के अनुसार पटाखों का उपयोग सिर्फ रात्रि 10 बजे तक किया जाना चाहिए।
पर्यावरण एवं वन मंत्रालय की 05/10/1999 को जारी अधिसूचना संख्या जी.एस.आर. 682(ई) के अनुसार पटाखों के शोर का स्तर 125 डीबी से अधिक नहीं होना चाहिए।
अर्णाकुलम के पैट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन (Petroleum and Explosive Safety Organisation) के द्वारा विस्फोटक नियम 2008 के अंतर्गत फॉर्म एलई-6 में एक लाइसेंस प्राप्त करने और सुरक्षा उपाय अपनाने के लिए सभी जिला मजिस्ट्रेटों को समय-समय आवश्यक सलाह जारी की जाती रही है।
स्थानीय मीडिया की खबरों के मुताबिक आतिशबाजी का प्रदर्शन सुबह तीन बजे शुरू किया जोकि रात्रि 10 बजे के बाद है इससे साफ है कि मंदिर प्रशासन ने नियमों की अनदेखी की।
केंद्र ने कहा कि घटना के कारणों का पता लगाने, भविष्य में इस प्रकार की घटनाओं को रोकने से संबंधित उपायों के सुझाव देने और जिला प्रशासन की सहायता करने के लिए केंद्र के अधिकारी कोल्लम के दौरे पर हैं।
इन अधिकारियों में नागपुर के मुख्य विस्फोटक नियंत्रक डॉ. एस. कमल, चेन्नई के दक्षिण सर्किल के संयुक्त मुख्य विस्फोटक नियंत्रक डॉ. ए. के. यादव, हैदराबाद के विस्फोटक नियंत्रक उप-प्रमुख आर. वेणुगोपाल, अर्णाकुलम के विस्फोटक नियंत्रक थियागाराजन और विस्फोटक उप-नियंत्रक एस. कंदासामी शामिल हैं।