राज्यसभा में बहुप्रतीक्षित वस्तु एवं सेवा कर (GST) से जुड़े संबंधित संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर पूरे देश में एक समान उत्पाद और सेवा कर लागू करने का रास्ता साफ हो गया है।
लोकसभा ने पिछले साल ही संविधान संशोधन विधेयक को पारित कर दिया था लेकिन राज्य सभा में दो तिहाई बहुमत नहीं मिल पाने की वजह से विधेयक एक साल से ज्यादा समय से लंबित था।
इसे पारित कराने के लिये सरकार ने कांग्रेस के एक प्रतिशत के अतिरिक्त कर को वापस लेने की मांग को मान लिया तथा वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आश्वासन दिया कि जीएसटी के तहत कर दर को यथासंभव नीचे रखा जाएगा।
जेटली ने विधेयक पर हुई चर्चा का जवाब देते हुए कहा कि मार्गदर्शक सिद्धान्त होगा कि जीएसटी दर को यथासंभव नीचे रखा जाए। निश्चित तौर पर यह आज की दर से नीचे होगा।
वित्त मंत्री के जवाब के बाद सदन ने शून्य के मुकाबले 203 मतों से विधेयक को पारित कर दिया। साथ ही इस विधेयक पर लाए गए एक कांग्रेस सांसद के संशोधनों को खारिज कर दिया गया।
यह विधेयक लोकसभा में पहले पारित हो चुका है। किन्तु चूंकि सरकार की ओर से इसमें संशोधन लाए गए हैं, इसलिए अब संशोधित विधेयक को लोकसभा की मंजूरी के लिए फिर भेजा जाएगा।
राज्यसभा में विधेयक पर मतदान से पहले सरकार के जवाब से असंतोष जताते हुए तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जे जयललिता की पार्टी अन्नाद्रमुक ने सदन से वाकआउट किया।
कांग्रेस ने इस विधेयक को लेकर अपने विरोध को तब त्यागा जब सरकार ने एक प्रतिशत के विनिर्माण कर को हटा लेने की उसकी मांग को मान लिया।
साथ ही इसमें इस बात का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है कि राज्यों को होने वाली राजस्व हानि की पांच साल तक की भरपाई की जाएगी।
इस संशोधित विधेयक के जरिये एकसमान वस्तु एवं सेवा कर प्रणाली के लागू होने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा। इसके माध्यम से केन्द्रीय
संशोधित प्रावधानों के अनुसार जीएसटी परिषद को केन्द्र एवं राज्यों अथवा दो या अधिक राज्यों के बीच आपस में होने वाले विवाद के निस्तारण के लिए एक प्रणाली स्थापित करनी होगी।
जीएसटी दर की सीमा को संविधान में रखने की मांग पर जेटली ने कहा कि इसका निर्णय जीएसटी परिषद करेगी जिसमें केन्द्र एवं राज्यों का प्रतिनिधित्व होगा।
वित्त मंत्री कहा कि जीएसटी का उद्देश्य भारत को एक बाजार के रूप में समन्वित करना और कराधान में एकरूपता लाना है। उन्होंने कहा कि जीएसटी से पीने वाले अल्कोहल को बाहर रखा गया है तथा पेट्रोलियम उत्पादों के बारे में जीएसटी परिषद तय करेगी।