तीन तलाक के मुद्दे पर सुनवाई करते हुए मंगलवार को सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि वह निकाह हलाला और बहुविवाह की प्रथा के कानूनी पहलुओं पर फैसला करेगा।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि वह मुस्लिम लॉ के तहत तलाक पर विचार नहीं करेगा। कोर्ट ने सभी पक्षों से कहा है कि वह 16 फरवरी तक तय कर ले कि किन मुद्दों पर सुनवाई होगी।
चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस एनवी रमणा और जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच ने मंगलवार को कहा कि ट्रिपल तलाक का मामला मानवाधिकारों से जुड़ा मामला है और वह ट्रिपल तलाक के मामले में सुनवाई करेंगे समान नागरिक संहिता (Common Civil Code) के मुद्दे पर सुनवाई नहीं करेंगे।
मुख्य न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि वह तीन तलाक की वैधता से जुड़ी याचिकाओं पर 11 मई तक फैसला देंगे। सुप्रीम कोर्ट ने साफ कर दिया है कि वह विशेष केस के तथ्यात्मक पहलुओं पर विचार नहीं करेगा और वह सिर्फ कानूनी मुद्दे देखेगा।
केंद्र सरकार ने ट्रिपल तलाक, निकाह हलाल और कई शादियों जैसी प्रथाओं का विरोध किया था।
लैंगिक समानता और महिलाओं के मान सम्मान के साथ समझौता नहीं हो सकता और भारत जैसे सेक्युलर देश में महिला को जो संविधान में अधिकार दिया गया है उससे वंचित नहीं किया जा सकता।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने केंद्र सरकार की दलीलों का विरोध किया था। उसने इसे मुस्लिमों के मामलों में दखल करार दिया था। इसके अलावा एक और मुस्लिम संगठन जमीयत उलेमा-ए- हिंद ने भी कोर्ट से कहा था कि मुस्लिम पर्सनल लॉ में दखल नहीं दिया जाना चाहिए।