भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण (UIDAI) ने आम लोगों को ऐसी अवैध कंपनियों के झांसे में आने के खिलाफ आगाह किया है जो स्मार्ट कार्ड के नाम पर प्लास्टिक कार्ड या फिर लैमिनेशन के नाम पर आम लोगों से 50 से 200 रुपये तक वसूल रही हैं।
यूआईडीएआई के महानिदेशक एवं मिशन निदेशक अजय भूषण पांडेय ने कहा कि सामान्य कागज पर आधार का डाउनलोड किया गया संस्करण या आधार कार्ड का श्वेत-श्याम (ब्लैक एण्ड व्हाइट) प्रिंट आउट भी ओरिजिनल आधार कार्ड की तरह ही मान्य है।
अगर किसी व्यक्ति के पास एक कागजी आधार कार्ड है तो उसे अपने आधार कार्ड को लैमीनेट कराने या पैसे देकर तथाकथित स्मार्ट कार्ड प्राप्त करने की कोई आवश्यकता नहीं है। उन्होंने कहा कि स्मार्ट आधार कार्ड जैसी कोई चीज नहीं है।
अथॉरिटी ने कहा कि यदि फिर भी कोई व्यक्ति चाहता है कि उसका आधार कार्ड लैमीनेट किया जाए या प्लास्टिक कार्ड पर प्रिंट किया जाए, तो वह इसे केवल अधिकृत समान सेवा केंद्रो पर उचित दर चुका कर हासिल कर सकता है। यह दर 30 रुपये से ज्यादा नहीं है।
अथॉरिटी ने लोगों को सलाह दी जाती है कि अपनी गोपनीयता की सुरक्षा के लिए वे अपने आधार नंबर या व्यक्तिगत विवरणों को अवैध एजेंसियों के साथ इसे लैमीनेट कराने या प्लास्टिक कार्ड पर प्रिंट कराने के लिए साझा न करें।
इसके अलावा अथॉरिटी ने ई-बे, फ्लिपकार्ट, अमेजन आदि जैसी ई-कॉमर्स कंपनियों को कहा है कि वे आम लोगों से आधार की जानकारी एकत्रित करने के लिए या ऐसी सूचना प्राप्त करने के लिए आधार कार्ड को प्रिंट करने या आधार कार्ड को अवैध रूप से छापने या किसी भी प्रकार ऐसे व्यक्तियों को सहायता करने के लिए अपने व्यापारियों को अनुमति न दें।
ऐसा करना भारतीय दंड संहिता और आधार (वित्तीय एवं अन्य सब्सिडियों, लाभों एवं सेवाओं की लक्षित आपूर्ति) अधिनियम, 2016 के अध्याय-VI के तहत भी दंडनीय अपराध है।