उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी में चल रहे पारिवारिक राजनीतिक झगड़े के बीच मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने बुधवार अपराह्न् राजभवन जाकर राज्यपाल राम नाईक से मुलाकात की। इस मुलाकात को लेकर राजभवन से कोई आधिकारिक सूचना नहीं दी गई, लेकिन अधिकारियों ने कहा कि यह एक सामान्य मुलाकात है, जिसमें मुख्यमंत्री ने दीवाली के लिए राज्यपाल को ‘अग्रिम बधाई’ दी।
हालांकि, सूत्रों ने बताया कि 30 मिनट चली यह मुलाकात विस्तृत और गहन रही। इसमें मुख्यमंत्री ने राज्यपाल को पार्टी के भीतर चल रहे घटनाक्रम के बारे में जानकारी दी। इस दौरान वन राज्य मंत्री तेज नारायण पांडेय उर्फ पवन पांडेय के निष्कासन पर भी चर्चा की गई। पार्टी ने अखिलेश से उन्हें मंत्रिमंडल से भी हटाने को कहा है।
खबरों के मुताबिक अखिलेश ने पार्टी के 205 विधायकों के समर्थन का एक पत्र भी सौंपा है और नाईक को पार्टी विधायकों की बैठक के बारे में भी जानकारी दी। इस कदम को मुख्यमंत्री के खेमे द्वारा भविष्य में शिवपाल यादव और पिता मुलायम सिंह यादव की किसी भी चुनौती से निपटने के तौर पर देखा जा रहा है।
हालांकि, समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख मुलायम सिंह ने साफ कर दिया है कि मुख्यमंत्री को हटाने का कोई कदम नहीं उठाया जाएगा। सपा सुप्रीमो ने मंगलवार को एक संवाददाता सम्मेलन में कहा, “अखिलेश आज मुख्यमंत्री हैं और किसी को भी इस पर आपत्ति नहीं है।”
मुलायम ने यह भी कहा कि ऐसे में जब अगले विधानसभा चुनाव की अधिसूचना की घोषणा के लिए सिर्फ दो महीने बचे हैं तो उनकी इस कार्य में रुचि नहीं है। उन्होंने कहा था, “क्या मैं दो महीने के लिए मुख्यमंत्री बनूगा? इस समय सिर्फ सरकारी कर्मचारियों का वेतन वितरित किया जाएगा।”
लेकिन सब कुछ ठीक होने के दावों के बाद भी, मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के मूड में नरमी आती नहीं दिखाई दे रही है। उनके द्वारा छह साल के लिए पार्टी से निष्कासित किए गए कुछ युवा नेताओं और राज्यसभा सदस्य राम गोपाल यादव को वापस लिए जाने तक चार बर्खास्त मंत्रियों को मंत्रिमंडल में लेने से इनकार करने की भी खबर है। राज्यपाल से मुलाकात से पहले अखिलेश ने बुधवार सुबह पार्टी विधायकों, विधान परिषद सदस्यों और पार्टी से निष्कासित सदस्यों सहित दूसरे नेताओं के साथ बैठक की थी।