वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बृहस्पतिवार को नयी दिल्ली में सरकारी कंपनियों के कामकाज, उनकी बैलेंस शीट और उनके पूंजीगत निवेश के कार्यक्रमों की समीक्षा कर अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिये उनसे पूंजी निवेश बेहद तेजी से बढ़ाने को कहा।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2017-18 की पहली तिमाही (अप्रैल-जून) में भारतीय अर्थव्यवस्था में तेजी की रफ्तार घटकर 5.7% रह गयी जो कि पिछले 2-3 सालों में सबसे कम है।
इस बैठक में पेट्रोलियम, ऊर्जा, रक्षा, सड़क परिवहन जैसे क्षेत्रों से जुड़ी सरकारी कंपनियों के शीर्ष अधिकारी शामिल हुये।
10 मंत्रालयों के सचिवों और वरिष्ठ अधिकारियों और सीपीएसयू के सीएमडी एवं वित्त निदेशकों ने वित्त मंत्री को यह जानकारी दी कि वित्त वर्ष 2017-18 के 3.85 लाख करोड़ रुपये के बजटीय पूंजीगत खर्च को पूरा करने के लिए चालू वर्ष का उनका पूंजीगत व्यय कार्यक्रम पूरी तरह से पटरी पर है।
कुछ सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रमों ने बताया कि वे अपना पूंजीगत व्यय कार्यक्रम बढ़ाने पर विचार कर रहे हैं, जो कुल मिलाकर तय राशि से 25,000 करोड़ रुपये अधिक हो सकता है।
वित्त मंत्री ने इन मंत्रालयों और सीपीएसयू की प्रतिबद्धताओं की सराहना करते हुए यह आश्वासन दिया कि सरकार पर्याप्त संसाधन उपलब्ध कराएगी, लेकिन किसी भी स्थिति में कोई ढि़लाई स्वीकार्य नहीं होगी।
वित्त मंत्री ने यह संकेत दिया कि नवंबर के आखिर या दिसंबर के आरंभ में एक बार फिर पूंजीगत व्यय कार्यक्रम की समीक्षा की जाएगी।
पूंजीगत निवेश बढ़ाने के लिए आयोजित विचार-विमर्श के दौरान इस ओर भी ध्यान दिलाया गया कि ज्यादातर पीएसयू की बैलेंस शीट में या तो बेहद कम ऋण है अथवा कुछ भी ऋण नहीं है, जो उनके निम्न ऋण-इक्विटी अनुपात में साफ नजर आता है।
इसलिये सीपीएसई से कहा गया कि वे नये निवेश का पता लगाने एवं पूंजीगत खर्च के लिए और ज्यादा ऋण जुटाएं तथा पूरी तरह से नकद राशि और मुक्त रिजर्व पर निर्भर न रहें।