केंद्र सरकार महिला अधिकारों के समर्थन में तीन तलाक की प्रथा का विरोध करने का फैसला किया है। सरकारी सूत्रों मुताबिक सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान इस व्यवस्था का विरोध किया जाएगा।
सरकार इस बात पर जोर देगी कि इस मुद्दे को समान आचार संहिता के चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए। सूत्रों के अनुसार इस मुद्दे पर गृह, वित्त और महिला एवं बाल विकास मंत्रालयों में मंत्रणा चल रही है.
खबरों के मुताबिक सरकार के स्तर पर महिला अधिकारों की बात के आधार पर तीन तलाक की प्रथा का विरोध किया जायेगा। इसको सभी धर्मों के लिये एक समान आचार संहिता से नहीं जोड़ा जायेगा।
भारतीय संविधान में किसी महिला को पुरूषों के बराबर अधिकार हासिल हैं।
सर्वोच्च न्यायालय ने इस महीने की शुरूआत में तीन तलाक के मुद्दे पर दायर याचिकाओं पर जवाब देने के लिए केंद्र सरकार को चार सप्ताह का समय दिया था।
एक मुस्लिम महिला, जिसके पति ने उसे दुबई से फोन पर तीन तलाक दिया था, ने इस प्रथा को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। महिला ने अपनी दलील में कहा कि तीन तलाक की प्रथा संविधान प्रदत्त उसके मौलिक अधिकार का हनन करती है।