केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने तटीय सुरक्षा की समीक्षा के लिए आज नौ तटीय राज्यों व चार केंद्र शासित प्रदेशों के शीर्ष अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हुए।
मुंबई में 2008 के आतंकी हमले के बाद देश की तटीय सुरक्षा को लेकर सरकार लगातार चौकस रही है। भारत की साढ़े सात हजार किमी लंबी तट रेखा की हिफाजत के लिए हर स्तर पर कदम उठाए गए हैं।
इन कदमों के बाद कितनी चौकस है हमारी सुरक्षा इसी का जायजा लेने के लिए केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने मुंबई में तटीय सुरक्षा पर राज्यों के साथ अहम बैठक की।
इस बैठक में 13 राज्य और केंद्र शासित प्रदेशों के गृहमंत्री और गृह सचिव मौजूद थे।
राजनाथ सिंह ने कहा कि नौवहन आतंकवाद एक बड़ा खतरा है जिसका व्यापक आर्थिक प्रभाव हैं और सरकार सभी बड़े एवं छोटे बंदरगाहों का सुरक्षा आडिट करा रही है ताकि तटीय सुरक्षा की दृष्टि से असुरक्षित बिन्दुओं की पहचान की जा सके।
मुंबई बैठक में जिन मुद्दों पर चर्चा हुई उनमें तटीय सुरक्षा से जुड़ी योजनाएं तेजी से हों पूरी हों, राज्यों में तटीय सुरक्षा पर सांस्थानिक तंत्र बने, राज्य मैरीटाइम बोर्ड का गठन हो और तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा मैपिंग हों।
इसके अलावा छोटे द्वीपों की सुरक्षा बायोमेट्रीक पहचान पत्र और कार्ड रीडर का वितरण तथा नावों के कलर कोडिंग की व्यवस्था के साथ जीपीएस ट्रैकिंग की व्यवस्था पर भी बात हुई।
राजनाथ सिंह ने कहा कि मुम्बई पर 2008 में 26/11 आतंकी हमले के बाद तटीय सुरक्षा को मजबूत बनाने की दिशा में कई पहल की गई है और सरकार इसे फुल प्रूफ बनाएगी।
बैठक में तटीय सीमा के जरिए आतंरी हमले के खतरे के प्रति भी चर्चा हुई और सरकार ने कहा कि इसके लिए कई जरुरी कदम उठाए जा रहे हैं।
तटीय सुरक्षा पर सरकार के कदमों की बात करें तो तटीय सुरक्षा योजना के तीसरे चरण की तैयारी शुरु हो गयी है और राज्यों से इस पर सुझाव मांगे गए हैं।
वैसे भारत सरकार ने कुछ सालों में तटवर्ती सुरक्षा मजबूत करने के उद्देश्य से न केवल खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए कदम उठाए गए बल्कि तटीय रडार जैसी अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी से लेकर मरीन पुलिस की तैनाती जैसे उपाय भी किए गए हैं।