उत्तराखंड में हरीश रावत की सरकार के विश्वास मत हासिल करने से ठीक एख दिन पहले राष्ट्रपति शाषन लागू कर दिया गया है।
शनिवार को देर रात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई कैबिनेट की बैठक में इस बात का फैसला लिया गया था जिस पर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने रविवार को अपनी मोहर लगा दी।
शनिवार को उत्तराखण्ड का राजनीतिक घटनाक्रम बेहद तेजी से बदला।
कांग्रेस के 9 बागी विधायकों में से प्रमुख हरक सिंह रावत, प्रणव सिंह और पूर्व मुख्यमंत्री विजय बहुगुणा के बेटे साकेत बहुगुणा ने दिल्ली में एक संवाददाता सम्मेलन में मुख्यंत्री हरीश रावत के स्टिंग ऑपरेशन का वीडियो जारी किया।
टीवी चैनलों में प्रसारित इस कथित स्टिंग ऑपरेशन में हरीश रावत किसी व्यक्ति से बात करते हुये दिखायी दिये जिसमें 5, 10, 15 जैसे शब्द सुनायी दे रहे हैं।
बागी विधायकों ने दावा किया कि हरीश रावत अपनी सरकार बचाने के लिये उन्हें 15 करोड़ रुपये तक देने की पेशकश की। एक निजी चैनल समाचार प्लस ने यह स्टिंग आपरेशन किया था।
बागी विधायकों के मुताबिक सीडी में मुख्यमंत्री खुद विधायकों की खरीद-फरोख्त के लिए बात कर रहे हैं।
हालांकि बाद में हरीश रावत ने अपने ऊपर लगाये आरोपों को आधारहीन बताते हुये स्टिंग करने वाले पत्रकार पर विरोधियों से मिलकर सरकार को अस्थिर करने का आरोप लगाया।
इस सीडी के जारी होने के कुछ ही घंटे बाद भारतीय जनता पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने राष्ट्रपति से भेंट करके हरीश रावत सरकार को तुरन्त बर्खास्त करने की मांग की थी।
स्टिंग की सीडी जारी होने के बाद प्रधानमंत्री की अध्यक्षता में हुई बैठक में राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने का फैसला किया गया।
कांग्रेस ने उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शाषन लागू करने को लोकतंत्र की हत्या बताया है।