केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी नदी जोड़ परियोजना के तहत केन-बेतवा नदी को जोड़ने का रास्ता साफ हो गया है। यह परियोजना पन्ना टाइगर रिजर्व के बीच से होकर बनाई जानी है।
टाइगर रिजर्व को नुकसान की आशंका के चलते इस परियोजना को पर्यावरण मंत्रालय की मंजूरी नहीं मिल रही थी। अब पर्यावरण मंत्रालय की विशेषज्ञ सलाह समिति ने इसे सशर्त मंजूरी देने की सिफारिश कर दी है।
वन एवं पर्यावरण मंत्रालय की नदी घाटी और पनबिजली परियोजनाओं की विशेषज्ञ सलाह समिति ने हाल ही में एक बैठक में यह फैसला लिया है। समिति ने इस परियोजना को मंजूरी नौ शर्तों पर दी है।
इन शर्तों में कहा गया है कि परियोजना को शुरू करने से पहले परियोजना प्रस्तावक को कॉरीडोर में वन्यजीवों की संपदा और संपत्ति के नुकसान का आकलन करना होगा। वहीं परियोजना खत्म होने के बाद वास्तविक नुकसान के लिए भी अध्ययन करना होगा।
नदी जोड़ परियोजना के तहत केन-बेतवा को जोडने का यह पहला कदम है। इस परियोजना के लिए जंगल से जुड़ी सभी मंजूरी ली जा चुकी हैं। 10 हजार करोड़ रुपये की लागत से केन-बेतवा नदी परियोजना को जोड़ा जाएगा। केंद्र के मुताबिक इसका मकसद मध्य प्रदेश के केन नदी से पानी को उत्तर प्रदेश के बुंदेलखंड क्षेत्र में मौजूद बेतवा नदी में पहुंचाना है।
स परियोजना के लिए कुल 5,258 हेक्टेयर वन क्षेत्र का इस्तेमाल किया जाएगा। इसमें 4,141 हेक्टेयर क्षेत्र पन्ना टाइगर रिजर्व का होगा। इस घने वन क्षेत्र वाले टाइगर रिजर्व में बाघ, चीता, हिरण, गिद्ध जैसे कई वनजीव मौजूद हैं।
राष्ट्रीय स्तर पर नदियों को आपस में जोड़ने की परियोजना का खाका पहली बार 1980 में तैयार किया गया था। वहीं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी के समय इस परियोजना को साकार करने की तैयारी की गई थी।