उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की दो सदस्यों की खण्डपीठ ने 31 मार्च को उत्तराखण्ड विधानसभा में शक्ति परीक्षण के न्यायाधीश यूसी ध्यानी के आदेश पर रोक लगा दी है।
न्यायालय ने केंद्र सरकार और इस मामले में याचिकाकर्ता कांग्रेस पार्टी को 4 अप्रैल को शपथ पत्र के जरिये अपना-अपना पक्ष रखने का आदेश दिया है।
मामले की अगली सुनवाई 6 अप्रैल को होगी।
स्थानीय समाचार पत्रों के अनुसार उत्तराखण्ड न्यायालय की खण्डपीठ ने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के निर्णय पर केंद्र को आड़े हाथों भी लिया। अदालत ने पूछा कि इसके जरिये केंद्र क्या संदेश देना चाहता है।
न्यायालय ने कहा कि सदन में बहुमत साबित करना ही सबसे सही तरीका है।
केंद्र की ओर से पैरवी कर रहे महाधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने दलील दी कि जब उत्तराखण्ड में राष्ट्रपति शासन लागू है और विधानसभा निलंबित है तो बहुमत परीक्षण का आदेश कैसे लागू किया जा सकता है।