सर्वोच्च न्यायालय द्वारा विश्वास मत के लिये केवल एक दिन देने और कांग्रेस और जनता दल (एस) द्वारा अपने विधायकों को राज्य से बाहर ले जाये जाने के बाद भाजपा के दिग्गज नेता येदियुरप्पा के पास करने के लिये कुछ बचा नहीं था। और हुआ भी वही। उन्होंने विश्वासमत से पहले ही इस्तीफा दे दिया।
राज्यपाल द्वारा कर्नाटक का मुख्यमंत्री बनाये जाने के बाद येदियुरप्पा भले ही विश्वास मत जीतने का दावा कर रहे थे लेकिन निर्दलीय विधायकों की संख्या इतनी नहीं थी कि भाजपा उनको साथ लेकर कुछ कर सके।
अपने भाषण में येदियुरप्पा ने कहा कि अगर कर्नाटक के मतदाताओं ने उन्हें 104 की बजाय 113 सीटें पर जीत दी होती तो वे राज्य को स्वर्ग बना देते।
येदियुरप्पा ने विपक्षी कांग्रेस और जनता दल (एस) पर हमला करते हुये कहा कि चुनाव से पहले इन दलों के नेताओं को एक दूसरे के पिता का अपमान करने में भी झिझक नहीं थी और इनका गठबंधन एक ‘अपवित्र गठबंधन’ है।
अपने 15 मिनट के भाषण के दौरान 75 वर्षीय भाजपा नेता ने कहा कि ऐसा कोई रास्ता नहीं बचा था, जिससे कर्नाटक के लोगों की सेवा की जाए, क्योंकि कांग्रेस ने अपने विधायकों को उनके परिजनों से भी बातचीत करने नहीं दिया।
उन्होंने कहा कि उन्होंने किसानों के लिये कर्ज माफ करने की कोशिश की और वे जनता के लिये काम करते रहेंगे। येदियुरप्पा ने कहा कि 2019 में वे राज्य में सभी 28 लोकसभा सीटों पर भाजपा को जीत दिलाने के लिये काम करेंगे।
इसके साथ ही एक तरह से राज्य में मतगणना के बाद बना गतिरोध समाप्त हो गया है।
जनता दल (धर्मनिरपेक्ष) के नेता एस. डी. कुमार स्वामी ने कहा है कि उन्हें राज्यपाल के बुलावे का इंतजार है।