संयुक्त राज्य अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में आोयजित चौथे परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में भारत ने कहा कि परमाणु सुरक्षा एक स्थायी राष्ट्रीय प्राथमिकता होनी चाहिए और सभी देशों को पूरी तरह से अपने अंतरराष्ट्रीय दायित्वों का पालन करना चाहिए।
परमाणु सुरक्षा शिखर सम्मेलन में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आतंकवाद पर दोहरे मानदण्ड अपनाये जाने की नीति भी कड़ी भर्त्सना की।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि उसका आतंकी और मेरा आतंकी की सोच को बिलकुल छोड़ना होगा।
श्री मोदी ने कहा कि यह धारणा छोड़ दीजिए कि आतंकवाद किसी और की समस्या है और ‘उसका’ आतंकी ‘मेरा’ आतंकी नहीं है।
भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद चरमपंथी हिंसा का इस्तेमाल युद्धक्षेत्र की तरह करता है।
आतंकवादियों द्वारा अत्याधुनिक तकनीकों के इस्तेमाल की चुनौती पर बोलते हुये प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम किसी गुफा में छिपे आतंकवादी की तलाश नहीं कर रहे हैं, अब हमें उस आतंकी की तलाश है, जो शहर में मौजूद है और जिसके पास एक कंप्यूटर और स्मार्टफोन है।
उन्होंने कहा कि आतंकी 21वीं सदी की तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं। लेकिन हमारा जवाब अब भी पुराने जमाने का है।
कुछ सरकारों द्वारा आतंकवाद को बढ़ावा देने पर बोलते हुये उन्होंने कहा कि परमाणु तस्करों और आतंकियों के साथ मिलकर काम करने वाले सरकारी तत्व सबसे बड़ा खतरा पैदा करते हैं।
22 मार्च को बेल्जियम की राजधानी ब्रसेल्स में हुये आतंकी हमलों का जिक्र करते हुये भारतीय प्रधानमंत्री ने कहा कि ब्रसेल्स हमले दिखाते हैं कि परमाणु सुरक्षा पर आतंकवाद के कारण मंडराने वाला खतरा कितना वास्तविक है।
बेल्जियम के समाचार पत्रों के मुताबिक 22 मार्च को ब्रसेल्स में हुये हमलों के बाद तिहांगे स्थित परमाणु कारखाने के एक सुरक्षा गार्ड डिडियर प्रोस्पेरो की हत्या कर उसका सुरक्षा पास चुरा लिया गया था।
इससे दुनिया भर में इस आशंका को बल मिला था कि आतंकी परमाणु सामग्री चुराना चाहते हैं ताकि उसका इस्तेमाल हमला करने के लिये कर सकें।
सुरक्षा गार्ड का शव मिलने के बाद परमाणु कारखाने के अधिकारियों ने उसका सिक्योरिटी पास निष्क्रिय कर दिया था लेकिन इससे आतंकवादियों के इरादों का पता चलता है।
परमाणु सुरक्षा पर अमेरिकी राष्ट्रपति की पहल के लिए उनकी सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि ओबामा की विरासत आगे तक बनी रहनी चाहिए।