बिहार विधानसभा ने गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स (GST) बिल पास कर दिया है। राज्य विधानसभा ने यह बिल सर्वसम्मति से पास किया है।
असम के बाद बिहार दूसरा राज्य है जिसने जीएसटी बिल पास किया है। जीएसटी बिल को राष्ट्रपति मंजूरी के लिए 15 राज्यों से पास होने की जरूरत है। तमिलनाडु को छोड़कर सभी राज्य जीएसटी के पक्ष में हैं। बिहार ने इस बिल को पास करने के लिए 16 अगस्त को विशेष सत्र बुलाया था।
जीएसटी विधेयक पिछले दिनों राज्य सभा और लोकसभा में पारित हुआ। 15 राज्यों में पास होकने के बाद विधेयक को राष्ट्रपति के मंजूरी की जरूरत होगी ताकि यह विधेयक एक अप्रैल 2017 से प्रभावी हो सके।
15 राज्यों और राष्ट्रपति से मंजूरी मिलने के बाद 60 दिनों के अंदर राज्यों और केंद्र के प्रतिनिधियों के जीएसटी काउंसिल का गठन करना होगा।
जीएसटी काउंसिल टैक्स की दरों के साथ ही वस्तु एवं सेवा की दरों का बैंड का निर्धारण करेगा। राज्य पहले से ही टैक्स दरों के लेकर आमराय बनाने की प्रक्रिया में हैं। माना जा रहा है कि उत्पादित वस्तुओं पर टैक्स घटेगा और सेवाओं पर बढ़ेगा।
असम बना जीएसटी पारित करने वाला पहला राज्य जीएसटी बिल को 1991 के बाद से देश में सबसे बड़े आर्थिक सुधार के रूप में देखा जा रहा है।
जीएसटी की दर को लेकर अभी तक कुछ साफ नहीं हो पाया। उद्योग जगत और विपक्ष की मांग है कि इसे 18 फीसदी से ऊपर न रखा जाए।
वहीं सरकार का कहना है कि इसका फैसला जीएसटी काउंसिल को करना है। हालांकि वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के अनुसार इसकी दर 27 फीसदी के करीब हो सकती है। दर कम रहने पर राज्यों को राजस्व में कमी झेलनी पड़ेगी और इस घाटे की पूर्ति केंद्र सरकार को करनी होगी।