केंद्र सरकार ने 1984 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली में बड़े पैमाने पर सिखों के नरसंहार की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (Special Investigation Team) का गठन किया है.
एसआईटी सिख दंगों से जुड़े उन 75 केसों की दोबारा जांच करेगी, जिनकी फाइलें पूर्व की सरकारों ने बंद कर दी थी. राजनीतिक विश्लेषक मोदी सरकार के इस फैसले को पंजाब में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों से जोड़कर देख रहे हैं.
31 अक्टूबर, 1984 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके आधिकारिक आवास 1, सफदरजंग रोड पर सिख अंगरक्षकों द्वारा उस वक्त कर दी गई थी, जब वो आइरिश फिल्म डायरेक्टर पीटर उस्तीनोव को इंटरव्यू देने जा रही थीं.
इंदिरा गांधी की हत्या के बाद दिल्ली के अलावा देश के कई इलाकों में सिख विरोधी दंगे भड़क उठे थे, जिनमें 3 हजार से ज्यादा सिख मारे गए थे. सिख समुदाय मोदी सरकार के आने के बाद से 84 दंगों की दोबारा जांच की मांग कर रहा था.
84 का सिख दंगा इतना भयावह था कि सिर्फ दिल्ली में ही 2,733 लोग मारे गए थे. सिख दंगों में दिल्ली के जो प्रभावित इलाके थे, उनमें आनंद पर्वत, त्रिलोकपुरी और कृष्णा नगर प्रमुख थे.