लापरवाह और लेटलतीफ बिल्डरों को एक सख्त संदेश में सुप्रीम कोर्ट ने पार्श्वनाथ को गाजियाबाद स्थित उसके एक्जोटिका प्रोजेक्ट के निर्माण में देरी पर कंपनी को 12 करोड़ रुपये बैंक में जमा करने को कहा है।
1 महीने के अंदर बिल्डर को यह पैसा सर्वोच्च न्यायालय परिसर में स्थित यूको बैंक की शाखा में जमा करने होंगे।
पार्श्वनाथ के 70 घर खरीददारों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग में पैसे वापस दिलवाने की मांग की थी जिसके बाद आयोग का फैसला उनके पक्ष में आया था।
इसी फैसले को पार्श्वनाथ बिल्डर ने सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी थी। बिल्डर की ओर से पेश हुये वकील कपिल सिब्बल ने अदालत में दलील दी कि यदि गाजियाबाद विकास प्राधिकरण फिर से प्रोजेक्ट को मंजूरी दे दे तो साल के अंत तक काम पूरा कर दिया जायेगा।
लेकिन कोर्ट ने इस आधार पर कोई राहत देने से मना कर दिया।
इससे पहले 26 अगस्त को हुई सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने प्रोजेक्ट में देरी को लेकर कंपनी को कड़ी फटकार लगाई थी।
खबरों के मुताबिक पार्श्वनाथ ने सर्वोच्च न्यायालय से कहा था कि उसे 400 करोड़ रुपये का घाटा हुआ है और उसके पास ग्राहकों को वापस करने के लिये पैसे नहीं हैं।
लेकिन कोर्ट ने कंपनी को कोई राहत नहीं दी।
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट सुपरटेक और यूनीटेक की ऐसी दलीलों को नकार चुका है।
सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैये से निराश घर खरीददारों को उम्मीद की किरण दिखाई दे रही है जो कि लाखों रुपये देने के बावजूद एक घर की उम्मीद में हर तरह का उत्पीड़न सहने को तैयार रहते हैं।