2013 में पारित केन्द्रीय कानून के अनुसार केन्द्र और राज्यों में लोकपाल और लोकायुक्तों की नियुक्ति की मांग करने वाली एक नई याचिका पर 14 सितंबर को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
न्यायमूर्ति रंजन गोगोई और न्यायमूर्ति पीसी पंत की खंडपीठ इस याचिका पर सुनवाई करेगी जिसमें अदालत से यह भी अनुरोध किया गया है कि वह लोकायुक्तों के प्रभावी क्रिया-कलापों के लिए सभी राज्यों को पर्याप्त बजटीय आबंटन और अनिवार्य बुनियादी ढांचा प्रदान करने का आदेश दे।
खबरों के मुताबिक दिल्ली भाजपा प्रवक्ता एवं अधिवक्ता अश्विनी कुमार उपाध्याय की ओर से दायर जनहित याचिका में आरोप लगाया गया है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 को एक जनवरी 2014 को राष्ट्रपति की मंजूरी मिल चुकी है और 16 जनवरी 2014 को यह प्रभावी हो चुका है, लेकिन कार्यपालिका ने लोकपाल की स्थापना नहीं की है।
याचिका में कहा गया है कि लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 की धारा 63 में कहा गया है कि सभी राज्य अधिनियम लागू होने की तारीख से एक साल के काल के अंदर एक निकाय की स्थापना करें जो लोकायुक्त के नाम से जाना जाएगा, लेकिन अनेक राज्यों ने अब तक इसे नहीं किया है। अनेक राज्यों ने लोकपाल एवं लोकायुक्त अधिनियम, 2013 के अनुरूप लोकायुक्त अधिनियम पारित नहीं किया है।’
याचिकाकर्ता के अनुसार अनेक राज्य सरकारें पर्याप्त बुनियादी ढांचा, पर्याप्त बजट और कार्यबल प्रदान नहीं कर जानबूझ कर लोकायुक्त को कमजोर और बेबस कर रही हैं।