मध्य प्रदेश के चर्चित व्यापम घोटाले से जुड़े एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया है।
हाईकोर्ट का फैसला बरकरार करते हुए कोर्ट ने सामूहिक नकल दोषी के सभी छात्रों को राहत देने से इंकार कर दिया है।
चीफ जस्टिस जगदीश सिंह खेहर ने छात्रों द्वारा दायर सभी याचिका को खारिज कर दिया और 2008-2012 के दौरान हुए 600 से अधिक एमबीबीएस छात्रों के एडमिशन को रद्द करने का आदेश दिया है।
दरअसल सुप्रीम कोर्ट को यह तय करना था कि सामूहिक नकल के दोषी छात्रों को राहत दी जाए या नहीं।
इससे पहले 268 छात्रों की याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट की दो जजों की बेंच ने एक दिलचस्प फैसला सुनाया था।
पहली बार यह घोटाला तब उजागर हुआ जब इंदौर पुलिस ने 2009 के पीएमटी प्रवेश से जुड़े 20 नकली अभ्यर्थियों को गिरफ्तार कर लिया था।
ये नकली अभ्यर्थी किसी दूसरे अभ्यर्थियों के स्थान पर बैठकर परीक्षा दे रहे थे। इन छात्रों से पूछताछ के बाद यह बात सामने आयी कि राज्य में कई ऐसे रैकेट है जो फर्जी तरीके से एडमिशन कराते हैं।
मध्य प्रदेश में व्यावसायिक परीक्षा मंडल राज्य में प्रवेश व भर्ती को लेकर परीक्षा आयोजित करने वाली संस्था है।
इस संस्था के पास राज्य के कई प्रवेश परीक्षाओं के आयोजन की जिम्मेवारी है।
कई अधिकारियों और नेताओं की मिलीभगत से हुए भ्रष्टाचार में करीब 1000 फर्जी नियुक्तियां और 514 फर्जी भर्तियां शक के दायरे में हैं।
व्यापमं घोटाले से जुड़े 48 लोगों की मौत हो गयी है। मरने वालों में व्यापमं घोटाले के आरोपी समेत कई हाईप्रोफाइल नाम शामिल हैं।