भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी कांग्रेस में अपने संबोधन में इस बात पर जोर दिया कि दोनों देशों को पुरानी बातों को पीछे छोड़ कर आगे बढ़ना चाहिये क्योंकि भविष्य द्विपक्षीय संबंधों का ठोस आधार बन चुका है।
चिर परिचित सफेद कुर्ता पायजामा और स्लेटी रंग की जैकेट पहने मोदी का अमेरिकी सांसदों ने गर्मजोशी से स्वागत किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और अमेरिका विश्व शांति और समृद्धि की परिदृष्टि को साझा करते हैं।
मोदी ने कहा कि पूरे विश्व के समक्ष आतंकवाद सबसे बड़ा खतरा बना हुआ है और इससे कई स्तरों पर लड़ा जाना चाहिए क्योंकि पारंपरिक सैन्य, खुफिया या कूटनीतिक उपाय अकेले इन्हें परास्त करने के लिए पर्याप्त नहीं है।
मोदी ने कहा, ‘‘भारत की पश्चिमी सीमा से अफ्रीका तक यह अलग अलग नामों से है। यह लश्कर ए तैयबा से तालिबान और फिर आईएसआईएस के अलग अलग नामों से हैं। लेकिन इनकी विचारधारा एक है, यह घृणा, हत्या और हिंसा की।
पाकिस्तान के परोक्ष संदर्भ में मोदी ने कहा हालांकि इसकी छाया पूरी दुनिया में फैली है और इसका भारत के पड़ोस से पोषण हो रहा है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जो लोग मानवता में विश्वास करते हैं, उन्हें आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में साथ आना चाहिए और इस बुराई के खिलाफ एक स्वर में बोलना चाहिए।
मोदी ने कहा मैं राजनीतिक फायदे के लिए आतंकवाद को बढ़ावा देने और अनुपालन करने वालों को स्पष्ट संदेश देने के लिए अमेरिकी कांग्रेस के सदस्यों का स्वागत करता हूं।
उन्होंने साथ ही कहा कि उन्हें पुरस्कृत करने से इंकार करना ऐसे कार्यो के लिए उन्हें जवाबदेह ठहराने की दिशा में पहला कदम है।
स्पष्ट तौर पर उनका संकेत हाल ही में अमेरिकी कांग्रेस द्वारा पाकिस्तान को आठ एफ-16 विमानों की बिक्री का मार्ग अवरूद्ध करने की ओर था।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद को अवैध घोषित किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा वक्त की जरूरत है कि हम हमारे सुरक्षा सहयोग को और गहरा बनायें।
मोदी ने कहा कि हमारा सहयोग ऐसी नीतियों पर आधारित होना चाहिए जो आतंकवादियों को पनाह देने वालों, उनका समर्थन करने वालों और प्रायोजित करने वालों को अलग थलग करता हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि वह अच्छे और बुरे आतंकवादियों में विभेद नहीं करता हो और धर्म को आतंकवाद से अलग रखता हो।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों ने आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अपने नागरिकों और सैनिकों को खोया है।
साथ ही इस बात को रेखांकित किया कि किस प्रकार से 2008 के मुम्बई आतंकी हमले के बाद अमेरिका भारत के साथ खड़ा रहा था।
भारत अमेरिकी संबंध को गतिशील भविष्य का आधार बताते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों के बीच गठजोड़ एशिया से अफ्रीका और हिन्द महासागर से प्रशांत महासागर तक शांति, समृद्धि और स्थिरता का वाहक बन सकता है।
उन्होंने कहा कि यह गठजोड़ वाणिज्य के समुद्री मार्ग और सागरों में नौवहन स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित कर सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि भारत हिन्द महासागर क्षेत्र में अपनी जिम्मेदारी निभा रहा है।
संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के संदर्भ में उन्होंने कहा कि हमारा सहयोग और प्रभावी हो सकता है अगर अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएं 20वीं सदी की सोच से आगे बढ़कर आज की हकीकत को प्रदर्शित करे।
उनके संबोधन के दौरान बीच बीच में 66 दफा तालियां बजाकर उनका उत्साह बढ़ाया। कई बार खड़े होकर गर्मजोशी भरा भाव प्रकट किया। सांसदों ने मोदी का ऑटोग्राफ भी लिया।
जब 2005 में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अमेरिकी कांग्रेस को संबोधित किया था तब उनके भाषण के दौरान 33 बार तालियां बजी थीं।