स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर रविवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कमजोर वर्गों पर हुए हमलों को लेकर चिंता जताई। उन्होंने दलितों-पिछड़ों पर हुए हमलों के खिलाफ सख्ती बरतने पर जोर दिया।
देश के कुछ हिस्सों में दलितों पर हुए हमलों के संदर्भ में प्रणब ने कहा कि उन्होंने पिछले चार वर्षो में कुछ अशांत, विघटनकारी और असहिष्णु शक्तियों को सिर उठाते हुए देखा है। अगर ऐसे तत्वों को निष्क्रिय कर दिया जाए तो भारत की शानदार विकास गाथा बिना रुकावट आगे बढ़ती रहेगी।
राष्ट्रपति ने स्पष्ट कहा कि अगर हम महिलाओं-बच्चों के खिलाफ हिंसा रोकने में असफल रहते हैं तो एक सभ्य समाज नहीं कहला सकते।
कश्मीर में जारी तनाव के बीच राष्ट्रपति ने कहा कि आहत और भटके लोगों को मुख्यधारा में वापस लाना होगा। क्योंकि देश तभी विकास करेगा, जब समूचा भारत विकास करेगा।
सांप्रदायिक सौहार्द बनाए रखने की अपील करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि एक-दूसरे की संस्कृतियों, मूल्यों और आस्थाओं के प्रति सम्मान एक ऐसी अनूठी विशेषता है, जिसने भारत को एक सूत्र में बांध रखा है।