पाकिस्तान में नागरिक सरकार ने वहां की ताकतवर सेना को दो-टूक कहा है कि वह आतंकवादियों को पनाह देना बंद करे या दुनिया भर में देश को अलग-थलग पड़ता देखने को तैयार रहे।
भारत सरकार द्वारा उड़ी में सेना पर हमले के बाद की गयी सर्जिकल स्ट्राइक के बाद दुनिया भर में पाकिस्तानी सेना द्वारा आतंकियों की मदद के खिलाफ जोरदार संदेश गया है।
भारत के कूटनीतिक विरोध के कारण दक्षेस के 8 में से 4 सदस्यों ने इस्लामाबाद में प्रस्तावित शिखर सम्मेलन में भाग लेने से मना कर दिया इसमें से दो इस्लामी देश हैं बांग्लादेश और अफ़गानिस्तान।
कूटनीतिक रूप से अलग-थलग पड़ने के बाद पाकिस्तान और सार्क के प्रमुख नेपाल ने सार्क शिखर सम्मेलन को स्थगित कर दिया।
इसके बाद पाकिस्तान में राजनीतिक घटनाक्रम काफी तेजी से घूमा और पाकिस्तान सरकार और सेना के बीच टकराव बढ़ने की खबरें वहां की मीडिया की हेडलाइन बन गयीं।
डॉन अखबार की एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान सरकार ने आईएसआई और सेना को साफ कहा है कि यदि पाकिस्तान की पुलिस आतंकियों के खिलाफ कोई कार्यवाही करती है तो आईएसआई और दूसरी खुफिया एजेंसियां उसमें दखल नहीं देंगी।
इससे पहले पाकिस्तान के मुख्य न्यायाधीश भी कह चुके हैं कि उनके देश के कुछ राजनीतिक दल आतंकियों का समर्थ करते हैं।
उन्होंने कहा था कि ये आतंकी वकीलों और कोर्ट पर हमला करके उन्हें आतंकित करने की कोशिश करते हैं।