कश्मीर की स्थिति को गंभीर बताते हुए वरिष्ठ केंद्रीय मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि कश्मीर में पथराव में शामिल लोग सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि प्रदर्शनकारी हैं, जो पुलिस और सुरक्षा बलों को निशाना बनाते हैं लेकिन सीमित दृष्टिकोण वाले लोग इसे नहीं देख सकते।
जम्मू शहर के बाहरी इलाके में एक रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने वर्तमान अशांति के लिए पाकिस्तान की आलोचना करते हुए कहा कि युद्ध के माध्यम से राज्य को छीनने में विफल रहने के बाद वह नए तरीके से भारत की अखंडता पर हमला कर रहा है और 1947 में बंटवारे के बाद से ही समस्या उत्पन्न कर रहा है।
इन प्राथमिकताओं को गिनाते हुए उन्होंने कहा कि देश की सुरक्षा और अखंडता से समझौता नहीं होगा और हिंसा में शामिल लोगों से समझौता नहीं होगा। उन्होंने कहा कि दूसरी बात कि जम्मू-कश्मीर हिंसा और युद्ध का सामना कर चुका है अत: यहां विकास की जरूरत है, जो पिछले 60 वर्षों से नेशनल कांफ्रेंस ओर कांग्रेस की सरकारों ने नहीं होने दिया। तीसरी बात कि जम्मू भाजपा का गढ़ है जिस पर ज्यादा ध्यान दिए जाने की जरूरत है।
उनकी प्राथमिकताएं इसलिए महत्वपूर्ण हैं कि विपक्ष मोदी सरकार पर अशांति से निपटने में कोई नीति नहीं अपनाने का आरोप लगा रहा है। विपक्षी दल अशांति का समाधान करने के लिए राजनीतिक समाधान खोजने और वार्ता करने का दबाव बना रहे हैं।
कश्मीर में 44 दिनों से चल रही अशांति के बारे में जेटली ने कहा कि अब इस समय एक गंभीर स्थिति उभरी है जिसमें पाकिस्तान, अलगाववादी और धार्मिक ताकतों ने हाथ मिलाया है और अब नए तरीके से वे भारत की अखंडता पर हमला कर रहे हैं।
जेटली ने इसे बड़ी चुनौती बताते हुए कहा कि आज इस स्थिति में देश की आवश्यकता है कि हम राष्ट्र की एकता और अखंडता से समझौता नहीं करें। उन्होंने जम्मू-कश्मीर के लोगों से कहा कि अलगाववादियों के खिलाफ संघर्ष में वे देश के साथ खड़े हों ताकि पाकिस्तानी युद्ध के इस नए चरण को इस बार भी परास्त किया जा सके। उन्होंने पथराव करने वालों को आक्रमणकारी बताया।
उन्होंने कहा कि वे (पथराव करने वाले) सत्याग्रही नहीं हैं बल्कि आक्रमणकारी हैं। अगर किसी पुलिस चौकी में 10 पुलिसकर्मी हैं और उस पर पथराव करने वाले 2,000 लोग हमला करते हैं तो यह हमला है लेकिन कुछ लोग इसे महसूस नहीं कर पाते।