बिल्डरों की मनमानी रोकने और घर खरीदने वालों के हितो को सुरक्षित करने के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट का एक और अहम फैसला सामने आया है। यूनीटेक कंपनी पर भारी जुर्माना लगाने वाले कोर्ट के इस आदेश के बाद बिल्डरों की लेटलतीफी पर रोक तो लगेगी।
समय पर फ्लैट न मिलने और उपभोक्ताओं से बिल्डरों की वादा खिलाफी की खबरें आम हैं। ऐसे में यूनीटेक बिल्डर्स के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट के सख्त रुख को ऐसे बिल्डरों के खिलाफ चेतावनी के तौर पर देखा जा सकता है।
कोर्ट ने यूनीटेक के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत के जुर्माने के आदेश पर रोक लगाने से इंकार कर दिया है।
कोर्ट ने यूनीटेक को 5 अगस्त तक पांच करोड़ रुपए सुप्रीम कोर्ट रजिस्ट्री में जमा कराने को कहा है। इतना ही नहीं अदालत ने यह भी कहा कि अगर नहीं किया गया तो कंपनी के निदेशकों के खिलाफ अदालत की अवमानना के तहत कार्रवाई और उनकी गिरफ्तारी भी हो सकती है।
यह मामला यूनीटेक के नोएडा सेक्टर 96 में बरगंडी सोसायटी में फ्लैट समय पर न दिए जाने से जुड़ा है।
3.8 करोड़ रुपए प्रति फ्लैट की लागत से खरीददारी करने वाले तीन लोगों ने राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत पर जुर्माना लगाया था जिसके खिलाफ कंपनी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाज़ा खटखटाया था।
वायदे के मुताबिक खरीददारों को 16 अप्रैल 2013 तक ये फ्लैट तैयार कर उपभोक्ताओं को सौंपने थे।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट अगली सुनवाई 12 अगस्त को करेगा। राष्ट्रीय उपभोक्ता अदालत और सुप्रीम कोर्ट के सख्त रवैय्ये से उपभोक्ताओं को।