केंद्र सरकार को एक बड़ा झटका गुरुवार को उस समय लगा जब उत्तराखण्ड उच्च न्यायालय की दो न्यायाधीशों की पीठ ने पिछले महीने राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के फैसले को असंवैधानिक बताते हुये रद्द कर दिया।
न्यायालय ने कहा कि केंद्र का फैसला सर्वोच्च न्यायालय द्वारा स्थापित विधान और निर्देशों के विरुद्ध है और राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के पर्याप्त आधार नहीं थे।
हाई कोर्ट ने केंद्र की इस दलील को भी ठुकरा दिया कि एक स्टिंग ऑपरेशन में राज्य के मुख्यमंत्री हरीश रावत खुद विधायकों की खरीद फरोख्त की कोशिश करते हुये दिख रहे थे ऐसे में साफ है कि राज्य में कानून व्यवस्था भंग हो गयी थी।
हाइ कोर्ट ने इस मामले में सीडी परीक्षण की रिपोर्ट 27 मार्च को मिली जबकि इससे पहले ही केंद्र राष्ट्रपति शासन लगा चुका था।
हाई कोर्ट ने 29 अप्रैल को राज्य विधानसभा में शक्ति परीक्षण के निर्देश दिये हैं।